जमुई डीएम नवीन कुमार ने मुख्य सचिव के निर्देश पर सभी विभागों में पदाधिकारियों एवं कर्मचारियों के द्वारा “बाल श्रम निषेध शपथ-पत्र ” भरा गया और श्रम विभाग को भेज दिया गया! इसी कड़ी में पुलिस पदाधिकारियों व पुलिस बलों के साथ श्रम अधीक्षक, पुलिस उपाधीक्षक (मुख्यालय) एवं पुलिस उपाधीक्षक (यातायात) ने बाल श्रम निषेध का शपथ ग्रहण किया! अनुमंडल एवं प्रखंड स्तरीय कार्यालयों में भी बाल श्रम निषेध शपथ ग्रहण समारोह का आयोजन किया गया!जिला पदाधिकारी महोदय ने इस शुभ अवसर पर “एक दिवसीय प्रशिक्षण शिविर” का उद्घाटन दीप प्रज्ज्वलित के साथ ही की! बाल श्रम निषेध दिवस पर आयोजित जमुई के सभी विद्यालयों में पेंटिंग प्रतियोगिता में शामिल उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले छात्रों को भी सम्मानित किया गया!जिलाधिकारी श्री नवीन ने बताया कि जिला प्रशासन श्रमिकों के उत्थान के लिए हमेशा प्रयासरत है! जमुई जिला के सभी नियोजकों को चेतावनी देते हुए कहा कि किसी भी सूरत में बाल मजदूरी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा! इसके लिए श्रम अधीक्षक को निरन्तर धावा दल संचालन हेतु निदेशित भी किया गया! बच्चों को राष्ट्र निर्माण का मजबूत स्तंभ बताया, इनकी शिक्षा जारी रखने की भावुक अपील उपस्थित अभिभावकों से भी की! श्रमिकों के लिए चलाए जा रहे योजनाओं का क्रियान्वयन ससमय करने का निदेश श्रम विभाग को दिया! बाल श्रम मुक्त बिहार की स्थापना में सभी बुद्धिजीवियों, स्वयंसेवी संस्थाओं, श्रम संगठनों एवं आमजनों से बढ़चढ़कर हिस्सा लेने की अपील भी की! श्रम अधीक्षक रतीश कुमार ने बताया कि बिहार में बाल श्रम उन्मूलन हेतु सघन छापेमारी अभियान हेतु धावा दल संचालित किया जा रहा है! धावा दल के निरीक्षण के दौरान बाल श्रम कराने वाले नियोजकों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी! जमुई में बाल श्रम उन्मूलन के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं। सरकार और विभिन्न संगठन बाल श्रम के खिलाफ जागरूकता अभियान चला रहे हैं, साथ ही बाल श्रमिकों को शिक्षा और सरकारी योजनाओं से जोड़ने की कोशिश भी की जा रही है! बाल श्रमिकों को विमुक्त कराने के बाद, उन्हें आर्थिक सहायता और पुनर्वास के लिए सरकार और सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों का पालन किया जाता है। विमुक्ति के बाद आर्थिक सहायता:सर्वोच्च न्यायालय के एमसी मेहता बनाम तमिलनाडु सरकार मामले में पारित आदेश के अनुसार, नियोजकों को प्रति बाल श्रमिक 20,000 रुपये जिला बाल श्रमिक पुनर्वास कोष में जमा करना होता है।
तत्काल आर्थिक सहायता:
योग्य बाल श्रमिकों को तत्काल आर्थिक सहायता के रूप में 3,000 रुपये प्रति बाल श्रमिक दिए जाते हैं।
पुनर्वास:
बाल कल्याण समिति बाल श्रमिकों को पुनर्वास के लिए आवश्यक सहायता प्रदान करती है।
अधिनियम:
बाल एवं किशोर श्रम (प्रतिषेध एवं विनियमन) अधिनियम, 1986 के तहत, विमुक्त 14 वर्ष से कम उम्र के बाल श्रमिकों को पुनर्वासन के लिए मुख्यमंत्री राहत कोष से 25,000 रुपये का अनुदान दिया जाता है।
किशोरों के लिए भी प्रावधान:
हाल ही में, 14 से 18 वर्ष के बीच के किशोरों को भी, जिनका विवरण चाइल्ड लेबर ट्रैकिंग सिस्टम में दर्ज हो, को भी विमुक्त बाल श्रमिकों के समान मुख्यमंत्री राहत कोष से 25,000 रुपये का अनुदान दिया जाएगा। बाल श्रम के खिलाफ कार्रवाई करने हेतु छापेमारी अभियान:
श्रम विभाग द्वारा बाल श्रम में पाए जाने वाले नियोजकों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जाती है। बाल श्रम से मुक्त कराए गए बच्चों को District Task Force के माध्यम से शिक्षा,आवास में प्राथमिकता और अन्य आवश्यक सुविधाओं के लिए भी सहायता दी जाती है।
जमुई में NGOs के साथ मिलकर बाल श्रम के खिलाफ जागरूकता कार्यक्रम लगातार जारी है! साथ ही नियोजकों से अपील की है कि श्रमिकों/निर्माण श्रमिकों से दोपहर 12 बजे से 3 बजे तक काम करवाने से परहेज करें तथा गर्मियों से बचाव के लिए पेय जल की व्यवस्था करने का कष्ट करें!प्रवासी मजदूरों को रजिस्ट्रेशन कराने के लिए “प्रवासी एप्प” श्रम संसाधन विभाग के द्वारा उपलब्ध कराया गया है! सम्बन्धित LEOs के माध्यम से प्रवासी रजिस्ट्रेशन की अपील की गई! श्रम कानूनों की जानकारी विस्तार से सभी श्रम प्रवर्तन पदाधिकारियों के द्वारा दी गई, जिससे श्रमिक समुदाय अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हो सके!