जमुई , संजय कुमार सिन्हा
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ब्रेकिंग न्यूज।
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जिला डेस्क।
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पंचतत्व में विलीन हुए पत्रकार अशोक कुमार सिन्हा।
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पंच तत्वों से बना शरीर आखिरकार पंचतत्व में ही विलीन हो जाता है। शरीर के सूक्ष्म तत्व हैं अग्नि , वायु , जल , आकाश और मिट्टी। इन्हीं तत्वों से शरीर का निर्माण होता है और एक निश्चित आयु के बाद जीव अंततः पंच तत्व में ही विलीन हो जाता है। इसके बाद सब शून्य हो जाता है।
नामी-गिरामी पत्रकार , हर दिल अजीज और हर घर-आंगन के इंसान अशोक कुमार सिन्हा का पार्थिव शरीर शनिवार को पंचतत्व में विलीन हो गया। जमुई शहर के कल्याणपुर मोहल्ला से अपराह्न में सुसज्जित वाहन में उनके पार्थिव शरीर को रखकर शव यात्रा निकाली गई। शहर के विभिन्न मार्गो से गुजरते हुए शव यात्रा किऊल नदी के तट पर पहुंचा , जहां लोगों ने उन्हें अंतिम विदाई दी। जमुई के लिखनहार , प्रबुद्धजन , व्यवसायिक समेत विभिन्न वर्गों के लोग सैकड़ो की तादाद में शव यात्रा में शामिल होकर ” जब तक सूरज चांद रहेगा , अशोक तेरा नाम रहेगा…..” आदि गगनभेदी नारे लगाए और उनके यादों को आत्मसात किया। शव यात्रा किऊल नदी के तट पर पहुंचा और यहां उनकी चिता सजाई गई। बड़े पुत्र आशीष कुमार सिन्हा ने वैदिक रीति- रिवाज से अपने पूज्य पिताजी को मुखाग्नि दी और उनका अंतिम संस्कार किया।
ऑक्सफोर्ड पब्लिक स्कूल के निदेशक डॉ. मनोज कुमार सिन्हा ने मौके पर कहा कि इस दुनिया में एक ही चिरन्तन सत्य है। तभी तो लोग कहते हैं श्री राम नाम सत्य है। जीवन की तरह मृत्यु भी शाश्वत सत्य है। इस दुनिया में प्रत्येक जीव को इसका साक्षात्कार करना पड़ता है। शव यात्रा में वरिष्ठ पत्रकार रूपेश, सूर्य प्रकाश सिन्हा , कवि कुमार सिंह , उत्तम कुमार सिंह , हिमांशु शेखर , दिनेश राम , राजेश कुमार,शैलेंद्र भगत आदि जाने-माने लोग शामिल थे। सबकी आंखें नम थीं। हर लोग विवश , लाचार और मायूस दिख रहे थे।
किऊल नदी के तट पर वह क्षण बड़ा ही भावुक था , जब एक पुत्र ने अपने पिता को मुखाग्नि दी। पूरा वातावरण गमगीन हो उठा। सांत्वना देने के लिए हाथ उठ रहे थे , पर जुबान खामोश थी। जन स्वराज पार्टी के महिला जिलाध्यक्ष नीलम मेहता जी ने कहा कि अशोक कुमार सिन्हा ने समाजसेवा के साथ-साथ पत्रकारिता जगत में भी लंबी लकीर खींची थी। वह सबके चहेते थे। सूर्य प्रकाश सिन्हा ने कहा कि वे लोगों के साथ सहजता से मिलते थे। पत्रकारों के साथ वे आत्मीयता से मिलते थे। संजय कुमार सिन्हा ने बताया कि लोग उनके व्यवहार और उनके कार्यों को याद कर रहे हैं।
श्री सिन्हा अपने पीछे भरा-पूरा परिवार छोड़ गए हैं। धर्म पत्नी , पुत्र , पुत्री समेत पूरा परिवार शोक विह्वल है। अशोक कुमार सिन्हा ने 2010 में पत्रकारिता शुरू की थी। उन्होंने समाज के ज्वलंत मुद्दों को उठाया। समाज सेवा के क्षेत्र में भी उन्होंने अपनी खास पहचान बनाई। उनके देहावसान पर समाज के विभिन्न वर्गों के लोगों ने शोक व्यक्त किया है। स्थाई आवास पर उनका अंतिम दर्शन के साथ उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए लोगों का तांता लगा रहा। वे पंच तत्व में विलीन हो गए। अब सिर्फ उनकी यादें रह गई है। यह लोगों के दिलों में बसती और बजती रहेगी। अशेष भावांजलि।