बिहार राज्य व्यवहार न्यायालय कर्मचारी संघ ने जिला और अनुमंडल न्यायालयों में अधिकृत कर्मियों यानी नाजायज कर्मियों को न्यायिक कार्य से हटाने की मांग की है संघ के अध्यक्ष राजेश्वर तिवारी और महासचिव सत्यार्थ सिंह ने इस संबंध में पटना उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश को ज्ञापन सौंपा है जिसमें उन्होंने राज्य के सभी प्रधान जिला जज और न्यायिक पदाधिकारी को इस आशय का निर्देश देने की मांग की है कि अनाधिकृत व्यक्तियों को न्याय कार्य से दूर रखा जाए इसके अलावे अधिवक्ता और अधिवक्ता लिपिक को भी न्यायालय कार्यालय के प्रवेश से रोकने का निर्देश दिया जाए जिससे सभी न्यायालय कर्मी नियमानुसार अपने कर्तव्यों का अनुपालन करते हुए न्याय के मंदिर की प्रतिष्ठा को बनाए रखने के साथ-साथ अपनी पहचान को भी गरीमा पूर्ण बनाए रखे बिहार राज्य व्यवहार न्यायालय कर्मचारी संघ के प्रदेश संगठन सचिव व जिला इकाई मीडिया प्रभारी अजीत कुमार ने इस संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि इन दिनों कुछ कथित लोग व्यवहार न्यायालय कर्मियों पर रुपया लेने का निराधार आरोप लगाने की परिपाटी शुरू कर दी है जिसे न्यायालय कर्मियों की छवि खराब होने के साथ-साथ उनके मनोबल पर गहरा आघात पहुंचा है इस संबंध में न्यायालय कर्मचारी हमेशा अपने संस्था की प्रतिष्ठा का क्षति नहीं पहुंचाने की प्रतिबद्धता को दोहराया है कर्मचारी संघ ने आरोप लगाया कि कुछ मान्यवर अपने निजी हित और कार्य के लिए गैर कानूनी रूप से अनधिकृत यानी नाजायज कर्मियों के माध्यम से न्यायालय कार्य में मदद लिया जाता है इन नाजायज कर्मियों द्वारा ली जा रही अवैध वसूली को न्यायालय कर्मियों के नाम पर ही डाला जाता है जो न्याय व्यवस्था के लिए अत्यंत गंभीर एवं चिंताजनक विषय है संघ ने बताया कि व्यवहार न्यायालयों में कार्यरत कर्मचारी अपनी मानवीय कार्य क्षमता से अधिक कार्य कर्तव्य निष्ठा के साथ निर्वहन कर रहे हैं इसके अलावे हुए सभी न्यायक भीम की गरिमा बनाए रखने के प्रति भी पूर्णतः सजग हैं और किसी भी प्रकार के अनैतिक गतिविधियों में लिप्त नहीं होने का दावा भी किया है!
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