पूर्व शराब बंदी की सफलता में जन सहभागिता जरूरी।_मीना यादव।

 

पूर्ण शराबबंदी केवल सरकारी प्रयासों से संभव नहीं हो सकती; इसके लिए समाज की सक्रिय सहभागिता आवश्यक है। शराब एक सामाजिक समस्या बन चुकी है, जो परिवारों को तो तोड़ती ही है, साथ ही समाज में अपराध, बेरोजगारी और नशे की लत जैसी गंभीर समस्याओं को जन्म देती है। इस संदर्भ में, अगर हमें शराबबंदी को सफल बनाना है तो केवल सरकार द्वारा कानून बनाना या कड़े कदम उठाना पर्याप्त नहीं होगा। इसके लिए समाज के हर वर्ग का सहयोग जरूरी है।

सबसे पहले, शराबबंदी के प्रति जन जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता है। लोगों को शराब के दुष्परिणामों के बारे में जानकारी दी जानी चाहिए। शिक्षा और जागरूकता अभियान चलाकर यह संदेश दिया जा सकता है कि शराब न केवल व्यक्ति के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करती है, बल्कि यह परिवार की भी बर्बादी का कारण बनती है। अगर समाज के लोग इसे समझें और इससे जुड़ी समस्याओं का समाधान खोजने में भाग लें, तो शराबबंदी संभव हो सकती है।

इसके अलावा, शराब की बिक्री पर कड़ी निगरानी रखने के साथ-साथ वैकल्पिक उपायों की आवश्यकता है। शराब की लत को छोड़ने के लिए चिकित्सा और मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान की जानी चाहिए, ताकि लोग आसानी से इस पर काबू पा सकें। समाज के हर व्यक्ति को इस मुहिम में शामिल करना होगा—चाहे वह शिक्षक हो, सामाजिक कार्यकर्ता हो या आम नागरिक। इसके साथ ही, महिलाओं और बच्चों को भी इस मुहिम का हिस्सा बनाना होगा, क्योंकि शराबबंदी में उनका योगदान महत्वपूर्ण हो सकता है।

सिर्फ कानून और सरकारी कदम से शराबबंदी को सफल नहीं बनाया जा सकता, बल्कि इसके लिए समाज का समग्र सहयोग और भागीदारी आवश्यक है। यदि सभी लोग मिलकर इस अभियान में शामिल होंगे, तो ही पूर्ण शराबबंदी को सफल बनाया जा सकता है।

 

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