बिहार की राजनीति इन दिनों उफान पर है। आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है और तस्वीरें धीरे-धीरे साफ होती नजर आ रही हैं। एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) ने लगभग सीट शेयरिंग का फॉर्मूला तय कर लिया है, हालांकि इसकी आधिकारिक पुष्टि बाकी है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, जदयू (जनता दल यूनाइटेड) एक बार फिर ‘बड़े भाई’ की भूमिका में नजर आ सकती है।एनडीए में सीटों के बंटवारे की खबर सामने आते ही महागठबंधन खेमे में चिंता बढ़ गई है। राजद और कांग्रेस के लिए यह चुनौतीपूर्ण समय है। कांग्रेस विशेष रूप से अपनी खोई जमीन वापस पाने की कोशिश में जुटी हुई है और आंतरिक रणनीति को मजबूत करने में लगी है।इस बीच तीसरे मोर्चे की सुगबुगाहट भी तेज हो गई है। चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर, एलजेपी प्रमुख चिराग पासवान और कांग्रेस के कुछ असंतुष्ट नेताओं के साथ मिलकर एक नया फ्रंट खड़ा करने की संभावनाएं जताई जा रही हैं। सूत्रों के मुताबिक, यह संभावित तीसरा मोर्चा एनडीए और महागठबंधन दोनों के लिए सिरदर्द बन सकता है।हालांकि बिहार की राजनीति में बदलाव की संभावनाएं हमेशा बनी रहती हैं। समीकरण कब पलट जाएं, कहा नहीं जा सकता। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि “पूरी फिल्म अभी बाकी है”।
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