भाजपा देश भर में आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ के अवसर पर विशेष कार्यक्रम आयोजित कर रही है। इन आयोजनों के माध्यम से पार्टी विशेष रूप से युवाओं के बीच यह बताने का प्रयास कर रही है कि वर्ष 1975 में लगा आपातकाल देश के लोकतंत्र के लिए कितना खतरनाक था और उस समय कांग्रेस ने किस तरह संविधान व अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का गला घोंटा। भाजपा का तर्क है कि इससे नई पीढ़ी को कांग्रेस का “असली चेहरा” समझ में आएगा।खासकर बिहार में, जहाँ विधानसभा चुनाव का माहौल धीरे-धीरे बन रहा है, भाजपा इस मुद्दे को उठाकर कांग्रेस को घेरना चाहती है। भाजपा की रणनीति यह संकेत देती है कि वह इतिहास की कुछ कड़वी सच्चाइयों को याद दिलाकर वोटरों के मन में कांग्रेस के प्रति संशय पैदा करना चाहती है।लेकिन इस बीच एक 90 वर्षीय मतदाता ने बड़ी सहजता से अपनी राय व्यक्त की। उन्होंने कहा कि भाजपा अगर सच में देशभक्ति दिखाना चाहती है तो उसे अपने वर्तमान कार्यों की चर्चा करनी चाहिए। नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश में जो कार्य हुए हैं, उन्हें आज की युवा पीढ़ी के सामने रखना अधिक उपयोगी होता।वह पूछते हैं – आखिर आईटी सेक्टर में पिछले दस वर्षों में कितनी प्रगति हुई? शिक्षा के क्षेत्र में क्या ठोस उपलब्धियां रही हैं? नई तकनीक और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए कौन-कौन से कदम उठाए गए? आत्मनिर्भर भारत की दिशा में किन-किन क्षेत्रों में महत्वपूर्ण कार्य हुए हैं? ये ऐसे प्रश्न हैं जिनके उत्तर युवाओं को सीधे प्रभावित करते हैं।उनका मानना है कि आज का युवा यह जानना चाहता है कि देश में रोजगार के अवसर कैसे बढ़े हैं, स्टार्टअप को किस प्रकार प्रोत्साहन मिला है, गांव-गांव तक इंटरनेट और डिजिटल सुविधाएँ कैसे पहुँची हैं, किसानों की आय दोगुनी करने के लिए कौन-से ठोस कदम उठाए गए हैं, और देश की सुरक्षा एवं सामरिक तैयारियों में क्या सुधार हुआ है ।इसलिए यदि भाजपा अपने कार्यक्रमों में बीते 50 साल पुरानी घटनाओं के बजाय वर्तमान विकास यात्रा को लेकर चर्चा करती, तो संभवत: युवाओं के बीच ज्यादा प्रभाव छोड़ पाती। लोकतंत्र की रक्षा का सबसे अच्छा तरीका यही है कि जनता को अपने काम और उपलब्धियों का पूरा हिसाब दें, ताकि लोग विवेकपूर्ण ढंग से अपना मत दे सकें
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